Yug Purush

Add To collaction

8TH SEMESTER ! भाग- 113( A Mortel Step-3)

"भारतमाता की जय, एक्सलेंट, माइ बॉय....एक्सलेंट...मुझे तुम्हारे जैसे जोशीले लड़को को देखकर अपने जवानी के दिन याद आ जाते है...."

"तो अब मैं चलूं.. सर ."

"बिल्कुल जाओ और नंबर की परवाह मत करना...."

"जय हिन्द, सर..."

"जय हिन्द, सोल्जर...."

अरुण अपना कॉलर उपर करते हुए  मेरे पास आया और अपनी शेखी झाड़ते हुए बोला...

"बेटा अरमान, शर्त लगा ले...वर्कशॉप मे तो तुझसे ज़्यादा नंबर पाउन्गा...."

"तूने रात भर मेहनत की ,सारा दिन प्रैक्टिकल  कॉपी को नीली स्याही से भरने मे बिताया,...फिर 4 से 5 घंटे मे तूने ड्रॉयिंग बनाया ,इसलिए यदि तू 1-2 नंबर अधिक पा जाता है तो इसमे कौन सी बड़ी बात है..."

"देख अपनी हार मान ले..."

"कभी नही....बिल्कुल भी नही..."

"Sale, Narcissist..."

"Narcissist...?? ये क्या है बे..."

"दिव्या बताई है कल ये वर्ड... इसका मोटा मोटा मतलब घमंडी होता है... हिंदी मे आत्मकामी कहते है...मस्त वर्ड है ना...??"

"चल...चलकर सौरभ और सुलभ को इस जंग को जीतने का उपाय बता देते है ,वरना वो दोनो खाम खा शहीद हो जाएँगे...."

जब हमारा काम ख़तम हुआ तो हम दोनो सौरभ और सुलभ की तरफ बढ़ गये, दोनो का रोल नंबर लास्ट मे आता था,इसलिए इस वक़्त दोनो आपस मे बात-चीत करने मे मगन थे
.
"सुलभ ,मैं तुझे उस फ़ौजी से बचने का ट्रिक बताता हूँ...."सुलभ के सामने जाकर मैने शान से कहा...

"रहने दो अरमान सर, मुझे उस फ़ौजी से बचने के लिए किसी ट्रिक की ज़रूरत नही है..."

"जब वो पकड़ कर कामसूत्र की हर पोजीशन तुझ पर ट्रॉय करेगा ना, तब तुझे समझ मे आएगा,..."

"हथियार मेरे पास भी है...मतलब कि ड्रॉयिंग एक दम करेक्ट है,राइटिंग मेरी सॉलिड है, फाइल भी कंप्लीट है और मुझे सब याद भी है...."

"चल ठीक है फिर, तू निकल...सौरभ अंकल आपको ट्रिक बताऊ या आपकी भी फाइल कंप्लीट है,ड्रॉयिंग सही है,राइटिंग सॉलिड है और सब कुछ  याद है...???"

"पढ़ने ,लिखने से किसका भला हुआ है यार , तू तो मुझे ट्रिक बता...."
.
.
हमारे नाम के आगे फ़ाइल completed एंड चेक्ड का रिमार्क लग चुका था और मेरे और अरुण की तरह सुलभ और सौरभ भी जंग जीत चुके थे... पुरे क्लास के लड़के -लड़किया हैरान थे... हमारे  इस कारनामे से की हमारे जैसे लफंगे इतनी आसानी से कैसे बच गये...?? जबकि अच्छे से अच्छे sincere स्टूडेंट तक को उस फ़ौजी ने B+, C+ देके पेल दिया था... सुलभ का तो फिर भी उन सबको समझ मे आता था... लेकिन हम तीनो का..?? वो सब शॉक्ड थे... जैसा की मैने पहले भी कहा है.. लड़ाई दम से नहीं..दिमाग़ से जीती जाती है. वो लोग मेहनत,मजदूरी करने मे लगे हुए थे और इधर...मैने दो सेकंड मे वर्कशॉप के फ़ौजी से बचने की तरकीब निकाल ली और कामयाब भी रहा...

"अरुण तुझे फर्स्ट ईयर  के वो दो लड़के याद है ,जिन्होने एफ.आइ.आर. किया था...??"वर्कशॉप से बाहर आने के बाद मैने अरुण से पुछा...

"माँ की सूत, उन दोनो की.... बड़ी मुश्किल से बचा था लास्ट टाइम...आत्मा शरीर से निकलने ही वाली थी कि सिदार  ने आकर सब संभाल लिया...याद मत दिला वो कांड..."

"मैं उन दोनो को ठोकने का सोच रहा हूँ...."

"क्या....क्याआ...क्या  "अरुण जहाँ था वही रुक गया और साथ मे सौरभ और सुलभ के भी पैर वही जम गये...वो तीनो मुझे ऐसे देख रहे थे, जैसे की अभी-अभी मैने उन्हे कोई बहुत बुरी खबर सुनाई हो... जिसपर उन्हे यकीन नही हो रहा था....

"क्या कहा तूने..."आगे बढ़ते हुए अरुण ने मुझे घूरा...

"तूने कहा कि तू उन दोनो लड़को को ठोकने वाला है..."अबकी बार सौरभ ने मुझे घूरा और आख़िर मे मेरे आख़िरी दोस्त,सुलभ ने भी मुझे गुस्से से घूरा....
.
"हर बार सिदार  तुझे नही बचा पाएगा...."सौरभ ने एक मुक्का मारते हुए कहा...

"और मैं तेरे इस कांड मे तेरे साथ नही हूँ..."दूसरा मुक्का जड़ते हुए अरुण बोला और फिर सुलभ से तीसरा मुक्का जड़ते हुए कहा

"अरमान, बिल्कुल सही..... छोड़ना मत उन दोनो को...."

"अरे ग़ज़ब...जियो मेरे लाल...सुलभ "दिल किया कि सुलभ को पकड़ कर किस कर लूँ,लेकिन साला वो लड़का था..इसलिए मैं वहिच पर रुक गया

सुलभ तो मेरे पक्ष मे था,लेकिन सौरभ और अरुण को मनाने मे बहुत दिमाग़ खफ़ाना पड़ा और ये मैं पहले से जानता था कि वो दोनो मुझे ऐसा हरगिज़ नही करने देंगे, पर वो दोनो कैसे मानेंगे...ये भी मुझे अच्छी तरह मालूम था. मैने सौरभ से कहा कि मैं उसे विभा की दिलाउन्गा और अरुण से कहा कि उसे  दिव्या की.... उन दोनों की लेने का प्लान है मेरे पास और वो दोनो एक सेकेंड मे मान गये.... साले हवसी

"तो क्या उन्हे उनके ही क्लास मे घुसकर मारने का प्लान है..."सुलभ अपने शर्ट की बाहे उपर उठाते हुए बोला...

"नो...और तू जा..."सौरभ बोला"मैं नही चाहता कि तेरे जैसा ब्रिलियेंट लौंडा ,हमारी वजह से मुश्किलो मे पड़े..."

"तेरे चाहने और ना चाहने से क्या होता है..."सुलभ थोड़ा गुस्से से बोला

"मैं भी ऐसा चाहता हूँ..."अरुण ने भी सौरभ की हाँ  मे हाँ मिलाया

"और मैं भी यही चाहता हूँ कि तू यही से वापस लौट जाए..."अबकी बार मैने भी वही कहा

अरुण और मेरे द्वारा सौरभ की बात का समर्थन करने पर सुलभ चिढ़ गया और हम तीनो को गाली देते हुए वहाँ से चला गया....

"लगता है साला बुरा मान गया..."सुलभ को जाते देख सौरभ ने मुस्कुराते हुए कहा"लेकिन मुझे मालूम है कि वो आज रात फोन ज़रूर करेगा,ये जानने के लिए कि क्या हुआ..."

"बुरा वो मानता है,जिसके पास बुरा मानने वाली चीज होती है और वो लड़कियों के पास होती है 😜 हम लड़को के पास नहीं....."अरुण ने एक दम शांति से ये डाइलॉग मारा...जिसके बाद हम कॉलेज से निकल कर हॉस्टल की तरफ हँसते-हँसते हॉस्टल  की तरफ दौड़े.
.
हनारे प्लान के अनुसार.... फर्स्ट ईयर  के उन दो लड़को को उनके ही क्लास के कुछ  लड़के, ठीक उसी ग्राउंड पर लाने वाले थे,जहाँ पर वरुण और उसकी दोस्तो को हमने जम कर ठोका था या फिर ये कहे कि जहाँ मेरी रैगिंग  ली गयी थी और ये वही जगह थी ,जहाँ से इन सबकी शुरुआत हुई थी.... जो दो लड़के ,उन दो चूतियो को उस ग्राउंड पर लाते. वो सिटी मे ही किराए के रूम लेकर रहते थे और इस कांड के बाद उन्हे कुछ  ना हो ,इसलिए हमारा साथ देने वाले सिटी के उन लड़को को हॉस्टल  मे शिफ्ट करने का हमने इंतजाम कर लिया था ....जहाँ वो सेफ थे....
.

"अरमान सर, वो दोनो ग्राउंड पर पहुच चुके है...."पुलिस  स्टेशन मे झूठी गवाही देने वाले राजश्री पांडे ने मेरे रूम मे आकर कहा....जो कि अब अपने दोस्त के साथ सिदार  का रूम छोड़ कर ,हॉस्टल  मे शिफ्ट हो गया था....

"तुम दोनो चलो.. मै आ रहा हूँ...."मैने अरुण और सौरभ से कहा...

"तू कहाँ जा रहा है..."

"गॉगल्स तो ले लूँ...ताकि लड़ाई मे मैं हीरो दिखू,विलेन नही..."

   8
1 Comments

सिया पंडित

01-Jan-2022 05:13 PM

Nice...

Reply